मैं काफी दिनों से अलग अलग न्यूज़ चैनलों के माध्यम से सुन रहा हूं कि 1971 में भारत-पाक के बीच युद्ध कांग्रेस के शासनकाल में हुआ। शायद उस बात को कहने वाले लोग यह भूल गए हैं कि 1971 का जंग भारत-पाक सेनाओं के बीच हुआ और शुरुआत पाकिस्तान की ओर से हुई थी। भारत के पास जवाबी कार्यवाही के अलावा कल्प नहीं था, और तब भारत जीता। लेकिन उन सभी महापुरुषों को एक बात याद दिलाना चाहता हूं कि वर्ष 1971 में शासन कर रहे कांग्रेस नहीं रहे और एक बात और ऐसा नहीं कि अगर माता पिता के कर्म अच्छे हो तो उनकी संतान भी अच्छा ही कर्म करेंगे या फिर घर का कोई बड़ा फौज में जाएगा तो छोटा भी फौज में ही जाएगा। ऐसा ही कांग्रेस के साथ हो रहा है बार-बार कांग्रेस के नेता 1971 की जंग को लेकर अपना पीठ थपथपाते नहीं थकते। उनसे मेरा सीधा सा प्रश्न है, 2008 में मुंबई 26/11 हमले का जवाब क्यों नहीं दिया गया वहां तो 150 से अधिक जानें गई थी।
मुझे समय तो याद नहीं लेकिन कांग्रेस के शासनकाल में दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री राही श्रीमती शीला दीक्षित जी के समय दिल्ली प्रदेश में कई जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे जिसका तार सीधा आतंकी संगठनों से जोड़ा जा रहा था( ऐसा न्यूज चैनल पर सुना था)। उस समय मैं भी दिल्ली में डिप्लोमा का छात्र था। तब भी तो कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
मुझे समय तो याद नहीं लेकिन कांग्रेस के शासनकाल में दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री राही श्रीमती शीला दीक्षित जी के समय दिल्ली प्रदेश में कई जगहों पर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे जिसका तार सीधा आतंकी संगठनों से जोड़ा जा रहा था( ऐसा न्यूज चैनल पर सुना था)। उस समय मैं भी दिल्ली में डिप्लोमा का छात्र था। तब भी तो कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई।
नोट:: श्रीमती सोनिया गांधी जी अध्यक्ष थी वर्ष 2017 तक और अब माननीय श्री राहुल गांधी जी। लेकिन दोनों नेता एक दूसरे से सलाह मशवरा ले सकते हैं तो इन्हें रिलेशन वाले जिक्र पर एक ही माना है।
अब बात बीजेपी की भी कर लेते है । वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ बीजेपी के शासन काल में इसे अलग रखते हैं । उसके बाद मोदी जी के राज में वर्ष 2017 उरी हमले का जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से दिया गया। कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि सैना के साहस का नतीजा था यह। तो उन सभी से मेरा एक प्रश्न है, 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी जी जंग लड़ने गई थी या सेना? जवाब शायद आपको मिल गया होगा और श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने आदेश दिया था। वैसा ही अब प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। इसमें कोई प्रश्न उठने का मतलब नहीं बनता।
अब रही बात पुलवामा हमले के बाद हुए एयर स्ट्राइक की तो कुछ बुद्धिजीवी इसे चुनावी प्रमोशन बता रहे हैं उन सभी को यह बता दें सरकार ने पुलवामा हमले के बाद वैसा ही किया जैसा उरी हमले के बाद किया गया। जब जैसी जरूरत पड़ी वैसा जवाब दिया गया है भारत की तरफ से। और जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत में सरकार सर्वोपरि है। उड़ी हमले में 18 जवान शहीद हुए तो करीब 50 आतंकी को मारा गया । और अब 44 जवान शहीद होने पर एयर स्ट्राइक। ऐसी ही कार्यवाही 2008 में मुंबई हमले के बाद कांग्रेस शासनकाल में भी हो सकता था, लेकिन हुआ नहीं शायद वो करना नहीं चाहते थे, या फिर पता ही नहीं था कि हम ऐसा भी कुछ कर सकते हैं हमारे पास पावर है, या फिर अपनी सेना पर संदेह था।
अब रही बात पुलवामा हमले के बाद हुए एयर स्ट्राइक की तो कुछ बुद्धिजीवी इसे चुनावी प्रमोशन बता रहे हैं उन सभी को यह बता दें सरकार ने पुलवामा हमले के बाद वैसा ही किया जैसा उरी हमले के बाद किया गया। जब जैसी जरूरत पड़ी वैसा जवाब दिया गया है भारत की तरफ से। और जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत में सरकार सर्वोपरि है। उड़ी हमले में 18 जवान शहीद हुए तो करीब 50 आतंकी को मारा गया । और अब 44 जवान शहीद होने पर एयर स्ट्राइक। ऐसी ही कार्यवाही 2008 में मुंबई हमले के बाद कांग्रेस शासनकाल में भी हो सकता था, लेकिन हुआ नहीं शायद वो करना नहीं चाहते थे, या फिर पता ही नहीं था कि हम ऐसा भी कुछ कर सकते हैं हमारे पास पावर है, या फिर अपनी सेना पर संदेह था।
मोदी राज में आतंकी हमलों में हुआ इजाफा
ऐसे सभी मानते हैं मोदी राज में आतंक के हमले बढ़े हैं। लेकिन शायद पीछे का सच सबको पता होने के बाद भी नजर अंदाज कर रहे हैं या फिर जानना ही नहीं चाहते। चलिए इसकी भी थोड़ी चर्चा कर लेते हैं।
हमने किताबों में पढ़ा है कि आदमी का स्वभाव होता है कि अगर उसे उसके मतलब की कोई चीज या वस्तु या कार्य हो तो उसे आनंद मिलता है लेकिन अगर अचानक वह सुख प्राप्त होना बंद हो जाए तो वह बौखला उठता है और उसे पाने के लिए कोई अनुचित कार्य कर बैठता है। शायद जहां तक मेरा अंदाजा है कि ऐसा ही स्वभाव मोदी राज में हो रहा है। शायद वर्ष 2014 के पूर्व आतंकियों को उनके मतलब के हर प्रकार की आवश्यकता पूरी हो जाती होगी और मोदी राज में ऐसा करने पर प्रतिबंध लग गया हो और आतंकइस्तान बौखलाहट में ऐसे नापाक हरकत कर रहा है। ऐसा मैं इसलिए बोल सकता हूं क्योंकि वर्ष 2014 तक कांग्रेस के शासनकाल मैं दिल्ली नोएडा के प्रॉपर्टी डीलरों की चांदी थी लेकिन वर्ष 2014 के अंत तक ही मोदी राज में ऐसे सभी छोटे प्रॉपर्टी डीलर्स अर्श से फर्श पर आने लगे थे और अब लगभग सभी बड़े डीलर्स आ गए हैं क्योंकि जो फ्लैट 32 लाख में मिलता था अब वो 22 लाख तक में मिल जा रहा है।
शायद यह डीलर्स मोदी जी को कड़वा बोलने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हो और इसलिए शांत है, लेकिन आतंकी तो कर ही लेते हैं नहीं तो उन्हें आतंकी कौन कहेगा।
हमने किताबों में पढ़ा है कि आदमी का स्वभाव होता है कि अगर उसे उसके मतलब की कोई चीज या वस्तु या कार्य हो तो उसे आनंद मिलता है लेकिन अगर अचानक वह सुख प्राप्त होना बंद हो जाए तो वह बौखला उठता है और उसे पाने के लिए कोई अनुचित कार्य कर बैठता है। शायद जहां तक मेरा अंदाजा है कि ऐसा ही स्वभाव मोदी राज में हो रहा है। शायद वर्ष 2014 के पूर्व आतंकियों को उनके मतलब के हर प्रकार की आवश्यकता पूरी हो जाती होगी और मोदी राज में ऐसा करने पर प्रतिबंध लग गया हो और आतंकइस्तान बौखलाहट में ऐसे नापाक हरकत कर रहा है। ऐसा मैं इसलिए बोल सकता हूं क्योंकि वर्ष 2014 तक कांग्रेस के शासनकाल मैं दिल्ली नोएडा के प्रॉपर्टी डीलरों की चांदी थी लेकिन वर्ष 2014 के अंत तक ही मोदी राज में ऐसे सभी छोटे प्रॉपर्टी डीलर्स अर्श से फर्श पर आने लगे थे और अब लगभग सभी बड़े डीलर्स आ गए हैं क्योंकि जो फ्लैट 32 लाख में मिलता था अब वो 22 लाख तक में मिल जा रहा है।
शायद यह डीलर्स मोदी जी को कड़वा बोलने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हो और इसलिए शांत है, लेकिन आतंकी तो कर ही लेते हैं नहीं तो उन्हें आतंकी कौन कहेगा।
इसीलिए लोग कहते हैं जो बित गया सो बीत गया अब क्या चल रहा है उसपर ध्यान दो बीते हुए बातो को ध्यान में रखते हुए। एक तो कोई करता नहीं और जो कर रहा है उसे सब रोकने में लगे हुए हैं।
मेरा किसी भी व्यक्ति विशेष को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नहीं है, और ना ही किसी पार्टी से संबंध है । ऐसा मेरा मानना है। और बाकी सब अपने मैं बहुत समझदार ही हैं।
।।धन्यवाद।।
।।।जय भारत।।।
।।धन्यवाद।।
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